Tuesday, September 4, 2012

कहानी




कहानी.....हाँ जीवन एक कहानी ही तो है
कभी मेरी - कभी तुम्हारी कहानी
जो गढ़ी हमने.....
हाँ, कहानी लिखी कहाँ जाती है
वो तो खुद ब खुद बन जाती है,
जो अनुभवों से रची जाती है
उम्र के हर पड़ाव संग कहानी
नित नए रंगों में ढलती है
हाँ देखो कैसे - कैसे रूप बदलती है;.......
कभी नितांत अपनी - तो कभी लगती बेगानी है
कहानी.....हाँ कहानी ये कुछ तेरी - कुछ मेरी
कुछ जानी कुछ अनजानी है......
कितने ही हिस्सों में बंट गई ये और
इस संग टुकडो में बंट गया फिर जीवन,
आज उम्र के एक पड़ाव पर आकर
जब कुछ फुरसत मिली तो आज
उसे फिर सहेजने को मन हुआ,
और जीवन के उन टुकडो में जिंदगी को
कभी हँसते - कभी रोते पाया
कभी खुद को हारते तो कभी
जीवन समर में गिरकर संभलते पाया....
सभी रसों का समावेश मिला उसमे
और तब जाके ये समझ आया
कि ऐसे ही तो नहीं कहते कि
जीवन राह है बड़ी दुर्गम
हौसला है संग तो है सहज भी
वर्ना तो यहाँ लोगो को
बैसाखियों पर ताउम्र चलते पाया.......किरण आर्य

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