Thursday, August 16, 2012

दुःख मेरे



दुःख मेरे, जब भी जीवन में आते है,
हौसलों को मेरे इक नई उड़ान दे जाते है,
विषम परिस्थितियो में जीने की कला सिखाते !

बार बार मेरे हौसलों को आजमाते है,
दुःख में भी कैसे मुस्कुराया जाता है?
और आंधियो में शमा को रोशन रखना
सिखला जाते यह दुःख मुझे !

जीवन में गिरकर उठना सिखाते,
इनके आने पर होती पहचान मुझे,
अच्छाई-बुराई की, अपने-परायों की !

जब बोझिल होता इनके बोझ से मन,
देख अपने से ज्यादा दुखी को,
हो जाती मुक्त इनसे लगते यह हीन !

फूलो की खुशबू तो कभी काँटों का ताज है ये,
लेकिन फिर भी भागना नई सिखाते यह,
कहते है डटो और सामना करो हमारा,
तभी तो जीतोगे जीवन के समर में !

जब यह कर जाते सबल जीवन को,
और करते संचार नई शक्ति का,
तो फिर क्यों घबराना इनसे जीवन में?

बस यहीं बिनती है अपने ईश से अब मेरी,
जब देना दुःख जीवन में तो संग देना,
हौसला भी इनको हंसकर अंगीकार कर आगे बड़ने का !

- किरण आर्या 

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