Sunday, September 25, 2011

चुहल


एक दिन पत्नी अपने पति के पास आकर,
बड़े प्यार से मुस्कुराते इठलाते हुए बोली,
सुनो जी आज मैं तुम्हे एक शेर सुनाती हूँ,
आज तुम्हे अपने दिल की बात बताती हूँ !

पति ने अपनी हैरानी को दबाते हुए,
निपोरे अपने दांत तुरंत कहा इरशाद इरशाद,
पत्नी ने फेंकी एक जालिम मुस्कान और बोली!!

दिल चीर के दिखाऊ तो दर्द ढूंड नहीं पाओगे,
दिल चीर के दिखाऊ तो दर्द ढूंड नहीं पाओगे,
दर्द तो पैरो में है अब बोलो कब दबाओगे ?

पति थोडा कसमसाया और हंसकर बोला,
श्रीमतीजी सुनकर तुम्हारी प्यारी सी बात,
मेरे भी दिल में जन्मे है कुछ जज़्बात,
कहो तो आज मैं भी कुछ फर्माऊँ ?

तुमको अपने दिल की बात समझाऊ,
पत्नी ख़ुशी से इठलाकर बोली,
प्रिय क्या यह भी है पूछने की बात?
सुनने को बेताब हूँ तुम्हारे दिल की बात !!

पति बोला तुम पैरो की बात करती हो,
एक बार कहकर तो देखो प्यार से,
प्रिय पैर क्या दबा दू गला तुम्हारा,
तुम भी पा जाओगी जन्नत,
और मेरे लिए भी जीवन होगा इक सौगात !!

कह नहीं सकता कितना हो गया मैं बेजार,
मुश्किल से मिला है यह मौका सुनहरा,
तो सोचता हूँ क्यों छोड़ना इसे,
आज तो धो ही डालू मैं अपने हाथ, मैं अपने हाथ.................किरण आर्य


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शुक्रिया